Israel-Palestine Conflict History : क्यों और कब से लड़ रहे हैं इजराइल-फिलिस्तीन?
ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों ने फिलिस्तीन को मान्यता दे दी है। गाजा को लेकर विवाद बढ़ रहा है। uplive24.com पर जानिए कि इसकी शुरुआत कैसे हुई, इजराइल बनने के पहले वहां क्या था, दो राष्ट्र का सिद्धांत क्या है (Israel-Palestine Conflict History)?
दुनिया के सबसे लंबे और हिंसक संघर्षों में से एक है इजराइल और फिलिस्तीन (Israel-Palestine Conflict History) का विवाद। इसकी जड़ें सौ साल से भी अधिक पुरानी हैं। यह विवाद जमीन, सीमाओं और अधिकारों से जुड़ा हुआ है और इसके असर आज तक महसूस किए जा रहे हैं। यही कारण है कि इजराइल-हमास (Israel-Hamas War) के बीच युद्ध भी इसी विवाद का हिस्सा है।
Recognition of Palestine : फिलिस्तीन को मान्यता पर दो खेमों में बंटी दुनिया
1948 से पहले इजराइल क्या था और कैसे बना? (Israel-Palestine Conflict History)
पहले विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन ने उस क्षेत्र पर नियंत्रण किया जिसे फिलिस्तीन (Palestine) कहा जाता था। यह इलाका पहले उस्मानी साम्राज्य (Ottoman Empire) के अधीन था। यहां अरब बहुसंख्यक और यहूदी अल्पसंख्यक रहते थे।
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, ब्रिटेन ने ओटोमन साम्राज्य को हराकर इस क्षेत्र पर नियंत्रण हासिल कर लिया।
1917 में ब्रिटेन ने बैलफोर घोषणा (Balfour Declaration) में यहूदियों के लिए फिलिस्तीन में एक राष्ट्रीय घर बनाने का वादा किया। यहूदियों का भूमि से ऐतिहासिक संबंध था, लेकिन अरब फिलिस्तीनियों का भी सदियों पुराना दावा था। इसीलिए दोनों समुदायों में तनाव बढ़ने लगा।
1920 से 1940 के दशक तक बड़ी संख्या में यहूदी यूरोप से पलायन कर फिलिस्तीन पहुंचे। होलोकॉस्ट (Holocaust) में 60 लाख यहूदियों की हत्या के बाद यह मांग तेज हो गई कि उनके लिए एक सुरक्षित ठिकाना होना चाहिए। 1947 तक यहूदी आबादी 6.3 लाख तक पहुंच गई थी, जो वहां की कुल जनसंख्या का लगभग 30% थी।
इसी बीच, संयुक्त राष्ट्र (United Nations) ने फिलिस्तीन को यहूदी और अरब राज्यों में बांटने का प्रस्ताव पारित किया। यरूशलम (Jerusalem) को अंतरराष्ट्रीय शहर बनाने की बात कही गई। यहूदियों ने इसे स्वीकार किया लेकिन अरब देशों ने विरोध किया। 14 मई 1948 को ब्रिटिश शासन समाप्त होने से कुछ घंटे पहले ही यहूदी नेताओं ने इजराइल (Israel) के स्वतंत्र राष्ट्र की घोषणा कर दी (Israel-Palestine Conflict History)।
1948 का अरब-इजराइल युद्ध (Arab-Israeli War)
स्वतंत्रता की घोषणा के अगले ही दिन पांच अरब देशों की सेनाओं ने इजराइल पर हमला कर दिया। इजराइल ने इसे अपना स्वतंत्रता संग्राम कहा। 1949 तक युद्ध समाप्त हुआ और इजराइल ने अधिकांश क्षेत्र पर कब्जा कर लिया।
मिस्र ने गाजा (Gaza Strip) और जॉर्डन ने वेस्ट बैंक (West Bank) व पूर्वी यरूशलम (East Jerusalem) पर कब्जा किया। इस दौरान लगभग 7.5 लाख फिलिस्तीनी (Palestinian Refugees) अपने घरों से भागे या निकाले गए। इसे फिलिस्तीनियों ने नकबा (Nakba - Catastrophe) कहा।
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1967 का छह-दिवसीय युद्ध (Six-Day War)
1967 में इजराइल और अरब देशों के बीच फिर से युद्ध हुआ। इसे मिडल ईस्ट वॉर (Middle East War) भी कहा जाता है। इस युद्ध में इजराइल ने मिस्र से सिनाई और गाजा, सीरिया से गोलान हाइट्स (Golan Heights), और जॉर्डन से पूर्वी यरूशलम व वेस्ट बैंक पर कब्जा कर लिया।
इसके बाद लगभग 10 लाख फिलिस्तीनी इजराइल के नियंत्रण में आ गए। आज तक यह कब्जा जारी है। इजराइल ने बाद में सिनाई को मिस्र को लौटा दिया लेकिन पूर्वी यरूशलम और गोलान हाइट्स को अपने देश में मिला लिया।
वेस्ट बैंक की स्थिति और विवाद (Israel-Palestine Conflict History)
वेस्ट बैंक, जॉर्डन नदी और इजराइल के बीच का इलाका है। यहां करीब 30 लाख फिलिस्तीनी रहते हैं। इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर Occupied Palestinian Territories कहा जाता है।
1990 के दशक में फिलिस्तीनी प्राधिकरण (Palestinian Authority) बना, जिसने कुछ शहरों का प्रशासन संभाला। लेकिन इजराइल का समग्र नियंत्रण अब भी जारी है।
आज वेस्ट बैंक और पूर्वी यरूशलम में लगभग 700,000 यहूदी रहते हैं, जो 160 से ज्यादा बस्तियों (Israeli Settlements) में बसे हैं। फिलिस्तीनी इन्हें अवैध मानते हैं (Israel-Palestine Conflict History), जबकि इज़राइल इन्हें अपने ऐतिहासिक अधिकार का हिस्सा मानता है।
जुलाई 2024 में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice - ICJ) ने इजराइल की मौजूदगी को अवैध करार दिया और बस्तियों को हटाने का आदेश दिया।
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यरूशलम पर विवाद (Jerusalem Dispute)
यरूशलम को लेकर इजराइल और फिलिस्तीन दोनों दावा करते हैं (Israel-Palestine Conflict History)। इजराइल ने 1967 के बाद पूरे शहर को अपनी स्थायी राजधानी घोषित कर दिया। वहीं, फिलिस्तीन पूर्वी यरूशलम को अपनी राजधानी मानता है।
इजराइल का कहना है कि यरुशलम को विभाजित नहीं किया जा सकता। दूसरी ओर, फिलिस्तीनी पूर्वी यरुशलम को अपने भविष्य के स्वतंत्र राज्य की राजधानी मानते हैं। पूर्वी यरुशलम की अधिकांश आबादी फिलिस्तीनी है, जिनमें से बहुत कम ने इजराइली नागरिकता स्वीकार की है।
यरुशलम में पवित्र स्थल, जैसे अल-अक्सा मस्जिद (Al Aqsa Mosque) या हरम अल-शरीफ (Haram al-Sharif) और यहूदियों के लिए टेम्पल माउंट (Temple Mount), इस संघर्ष के केंद्र में हैं। संयुक्त राष्ट्र पूर्वी यरुशलम को इजराइल द्वारा अधिकृत फिलिस्तीनी क्षेत्र मानता है।
गाजा पट्टी का विवाद (Israel-Palestine Conflict History)
गाजा 41 किलोमीटर लंबा और 10 किलोमीटर चौड़ा क्षेत्र है। यहां 21 लाख लोग रहते हैं, जो इसे दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले इलाकों में से एक बनाता है।
1967 के बाद इजराइल ने गाजा पर कब्जा किया और बस्तियां बसाईं। 2005 में उसने सेना और बस्तियों को हटा लिया, लेकिन सीमा, हवाई क्षेत्र और समुद्र पर नियंत्रण बनाए रखा। इसी वजह से आज भी UN गाजा को इजराइल-अधीन क्षेत्र मानता है।
2006 में हमास (Hamas) ने चुनाव जीता और अगले साल पूरे गाजा पर नियंत्रण कर लिया। इसके बाद इजराइल और मिस्र ने गाजा की नाकेबंदी (Blockade) कर दी।
2008, 2012, 2014 और 2021 में इजराइल और हमास के बीच बड़े युद्ध हुए (Israel-Palestine Conflict History)। हर बार सबसे ज्यादा जानें फिलिस्तीनी जनता की गईं। 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के बाद हालिया युद्ध शुरू हुआ, जिसमें अब तक हजारों लोग मारे जा चुके हैं।
फिलिस्तीनी शरणार्थी (Palestinian Refugees)
संयुक्त राष्ट्र (UNRWA) के अनुसार लगभग 5.9 मिलियन फिलिस्तीनी शरणार्थी दर्ज हैं। ये वे लोग और उनके वंशज हैं, जिन्हें 1948-49 के युद्ध के दौरान अपने घर छोड़ने पड़े थे।
फिलिस्तीनी वापसी के अधिकार (Right of Return) पर जोर देते हैं, लेकिन इजराइल इसे मानने से इनकार करता है।
दो-राष्ट्र समाधान (Two-State Solution)
Two-State Solution एक अंतरराष्ट्रीय शांति प्रस्ताव है जिसके तहत वेस्ट बैंक और गाजा में एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राष्ट्र बने और उसके साथ इज़राइल भी रहे।
फिलिस्तीनी प्राधिकरण इसे मानता है, लेकिन हमास इसका विरोध करता है। इजराइल भी इसे खारिज करता है और कहता है कि यह उसकी सुरक्षा के लिए खतरा होगा।
1993 में ओस्लो शांति समझौते (Oslo Peace Accords) पर हस्ताक्षर हुए थे, लेकिन आगे की बातचीत विफल रही।
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